savitalote2021@bolgger.com

शुक्रवार, ११ फेब्रुवारी, २०२२

my promise In the role of listening ...Happy Promise Day

 
".... my promise
 In the role of listening ..."

 He says, I listen, he speaks, I am in the role of listening constantly ... !!

 Say no to madness
 Why should that be?
 The word is close to mine
 Why the role?
 Abol hote .... !!


 But I am constantly divided, why this role has been taken;  The flow of questions starts again in the mind and a journey of answers in the mind ..!  But in reality it is in the role of listening.

 Sometimes this fickle mother also comes to our notice unknowingly and the mother speaks, no questions but questions come in front of her and such questions are asked.

 Why do you have to listen every time?  Because the person in front of you loves you more than you do.  Our existence .. our words ... our living .... our way of thinking, our way of expression and our way of speaking is his.

 
Our existence is, "He is himself."

 Is that really the case?  Don't know  But the mother is more focused on this.  Life is so simple ... our existence is his.  Mom speaks easily, yes !!  Love takes everything from us and for that it also takes everything from us.

 Knows, our limits, all our emotions, the universe and our existence.  Just because of your love.  Doesn't he have love in it?  The answer may or may not always be.  Don't know where love is?

 Everything is different. Also, why should your role always be to listen and why it should not be.  The answer to this question, however, is in front of the nail marks.  Because we are in the role of listening.

 3 words is mine
 The word is his too
 Inertia, however, to his words
 Tenderness, however, to the role of the listener
 Whatever the wait
 Of blissful bliss
 Wow ... ...
 Success of sorrow ... !!!

She always put these words of mother in me in her rites.  No matter how old we get, those rites cannot go away from us and traditions, cultures fall behind somewhere.  In front of the rituals!

 Because these rites give us the power to fly.  They give you the power to hold the world in your hands.  Confidence gathers.  The wings have been shown solely to give a sense of proportion.

 A good personality happens and that is our strength ... success.

 The wings have been shown solely to give a sense of proportion
 Samskaras gained strength of self-esteem
 Self-esteem gained strength through struggle
 The struggle gained strength
 Good personality
 Of good manners

 4 That is why good manners never fail.  And never wins.  So they are with you ... becoming a successful personality ..!  (The definition of success varies from person to person.) So make your own promise.

 
 I will be respected in this society as a good person.  Facing the unattainable struggle between success and failure in mathematics ... will create a world of its own.  But with a witness of good manners and a loving kind heart. !!!!

 No matter the struggle, no matter the success, no matter the money.  "Good personality is the key to your life."  She is with you in any event and your personality is an acknowledgment of your values.  Promise yourself .... Happy promise Day ... !!!

 No matter what role you play.  Whether the role is to listen ... to speak ... whether it is in a role that loves someone dearly ... because good personalities are always successful in any role.  Because you have made a promise to yourself.  Your rites !!

 5 You are my hope of life
 You are my dream
 And the beginning of a loving relationship
 In my silk knot
 Only me with you
 And you with me


Although I am in a listening role, I am in a decisive role.  With you;  Forever and ever  With me ..!  Beyond my words and even though you have recently existed, I have always been attached to that role, but I have always been my mother's promise to those words.

 It is her constant effort to make a good person.  No matter what role I play with you ... as a woman I promise myself.  Everyone has a role to play.
 So promise yourself ...

 No matter what role I play, I think my performance will be that of a cultured personality.  So that in any case, I will keep my personality on that path of success ...

 Happy Promise Day to all my friends .. !!


✍️🏻©️®️Savita Tukaramji Lote
 Title: - Promise is mine
 In the role of listening ...

 Awareness of your coming is your reaction.  Be sure to leave your feedback in the comment box and don't forget to like and share.


..वादा है मेरा सुनने की भूमिका में .......Happy promise Day



     "  .....वादा है मेरा
 सुनने की भूमिका में ......."

        वो कहते है सुनता हूँ ...वो बोलता है मैं लगातार सुनने के रोल में हूँ...!!

 पागलपन को ना कहो
 ऐसा क्यों होना चाहिए?
 शब्द मेरे करीब है
 भूमिका क्यों?
 अबोल होते....!!


 लेकिन मुझे लगातार आश्चर्य होता है कि यह भूमिका क्यों ली गई है;  मन में फिर शुरू होती है सवालों की बहार और मन में जवाबों का सफर..!  लेकिन वास्तव में यह सुनने की भूमिका में है।

 कई बार अनजाने में ये चंचल मां भी हमारे सामने आ जाती है और मां बोलती है, उसके सामने कोई सवाल नहीं बल्कि सवाल आते हैं और ऐसे सवाल पूछे जाते हैं.

 आपको हर बार क्यों सुनना पड़ता है?  क्योंकि सामने वाला आपसे ज्यादा आपसे प्यार करता है।  हमारा वजूद..हमारी बातें...हमारी रहन-सहन....हमारी सोच, हमारी अभिव्यक्ति का ढंग और हमारे बोलने का ढंग उसका है.

 
हमारा अस्तित्व है, "वह स्वयं है।"

             क्या वाकई ऐसा है?  पता नहीं  लेकिन मां इस पर ज्यादा फोकस करती हैं।  जिंदगी कितनी सीधी है... हमारा वजूद उसका है।  माँ आराम से बोलती है, हाँ !!  प्यार हमसे सब कुछ लेता है और उसके लिए हमसे सबकुछ भी लेता है।

 जानिए, अपनी सीमाएं, अपनी सारी भावनाएं, अपनी दुनिया और अपने अस्तित्व को।  सिर्फ तुम्हारे प्यार की वजह से।  क्या उसमें प्रेम नहीं है?  उत्तर हमेशा हो भी सकता है और नहीं भी।  पता नहीं प्यार कहाँ है?

 सब कुछ अलग है। साथ ही, आपकी भूमिका हमेशा सुनने की क्यों होनी चाहिए और क्यों नहीं होनी चाहिए।  हालांकि इस सवाल का जवाब नाखून के निशान के सामने है।  क्योंकि हम सुनने की भूमिका में हैं।

 3 शब्द मेरे हैं
 शब्द उसका भी है
 जड़ता, हालांकि, उनके शब्दों के लिए
 कोमलता, तथापि, श्रोता की भूमिका के लिए
 इंतजार जो भी हो
 आनंदमय आनंद का
 बहुत खूब ... ...
 दुख की सफलता...!!!


अपने संस्कारों में वह हमेशा मुझमें मां के इन शब्दों को रखती हैं।  हमारी उम्र कितनी भी हो, वो संस्कार हमसे दूर नहीं जा सकते और परंपराएं, संस्कृतियां कहीं पीछे छूट जाती हैं।  संस्कारों के आगे!

 क्योंकि ये संस्कार हमें उड़ने की शक्ति देते हैं।  वे आपको दुनिया को अपने हाथों में पकड़ने की शक्ति देते हैं।  आत्मविश्वास बटोरता है।  पंखों को केवल अनुपात की भावना देने के लिए दिखाया गया है।

 एक अच्छा व्यक्तित्व होता है और यही हमारी ताकत है...सफलता।

 पंखों को केवल अनुपात की भावना देने के लिए दिखाया गया है
 संस्कारों ने प्राप्त की आत्म-सम्मान की शक्ति
 संघर्ष से आत्मबल को मिली ताकत
 संघर्ष को मिली ताकत
 अच्छा व्यक्तित्व
 अच्छे संस्कारों का

 इसलिए अच्छे संस्कार कभी असफल नहीं होते।  और कभी नहीं जीतता।  तो वो आपके साथ हैं... एक सफल शख्सियत बन रहे हैं..!  (सफलता की परिभाषा हर व्यक्ति में अलग-अलग होती है।) इसलिए अपना वादा खुद करें।

 
इस समाज में एक अच्छे इंसान के रूप में मेरा सम्मान होगा।  गणित में सफलता और असफलता के बीच अटूट संघर्ष का सामना करना... अपनी एक दुनिया बनाएगा।  लेकिन अच्छे शिष्टाचार और प्यार भरे दिल की गवाही के साथ !!!!

  चाहे कितना भी संघर्ष हो, कितनी भी सफलता और कितना भी पैसा क्यों न हो।  "अच्छा व्यक्तित्व आपके जीवन की कुंजी है।"  वह किसी भी घटना में आपके साथ है और आपका व्यक्तित्व आपके मूल्यों की स्वीकृति है।  खुद से वादा करो....हैप्पी प्रॉमिस डे...!!!

 कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप क्या भूमिका निभाते हैं।  भूमिका चाहे सुनने की हो...बोलने की हो...चाहे वह भूमिका हो जो किसी से बेहद प्यार करती हो...क्योंकि अच्छी शख्सियत हमेशा किसी भी भूमिका में सफल होती है।  क्योंकि आपने खुद से एक वादा किया है।  आपका संस्कार !!

 तुम मेरी आशा हो
 तुम मेरा सपना हो
 और एक प्यार भरे रिश्ते की शुरुआत
 मेरी रेशमी गांठ में
 सिर्फ मैं तुम्हारे साथ
 और तुम मेरे साथ

 हालांकि मैं सुनने की भूमिका में हूं, लेकिन मैं निर्णायक भूमिका में हूं।  तुम्हारे साथ;  हमेशा हमेशा के लिए  मेरे साथ ..!  मेरे शब्दों और अपने हाल के अस्तित्व से परे, भले ही आप मेरी भूमिका में जोड़ दें, यह हमेशा मेरी मां का वादा है जो मुझे उन शब्दों के साथ है।

 एक अच्छा इंसान बनाने के लिए यह उनका निरंतर प्रयास है।  कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं आपके साथ क्या भूमिका निभाता हूं ... एक महिला के रूप में मैं खुद से वादा करती हूं।  हर किसी की भूमिका होती है।
 तो खुद से वादा करो...

 कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं क्या भूमिका निभाता हूं, मुझे लगता है कि मेरा प्रदर्शन एक सुसंस्कृत व्यक्तित्व का होगा।  ताकि मैं किसी भी हाल में अपने व्यक्तित्व को सफलता के उस पथ पर कायम रख सकूं...

 मेरे सभी दोस्तों को हैप्पी प्रॉमिस डे..!


 ✍️🏻©️®️सविता तुकारामजी लोटे
 शीर्षक:- वादा मेरा है
 सुनने की भूमिका में ...

 आपके आगमन की जागरूकता आपकी प्रतिक्रिया है।  कमेंट बॉक्स में अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें और लाइक और शेयर करना न भूलें...!!!

प्रॉमिस माझे ऐकण्याच्या भूमिकेत...Happy promise Day

 .....प्रॉमिस माझे 
      ऐकण्याच्या भूमिकेत...

      सांगतो तो, ऐकते मी, बोलतो तो, ऐकण्याच्या भूमिकेत असते मी सतत...!!

सांग वेड्या मना 
असे का व्हावे 
शब्दमाझ्या जवळी आहे 
तरी भूमिका का ?
अबोल होते....!!


         पण मला सतत वाटून जाते, हीच भूमिका का घेतली असेल; मनात परत प्रश्नांची चाहूल सुरू होते आणि एक प्रवास उत्तरांचा मनातच..! पण प्रत्यक्षात मात्र ऐकण्याच्या भूमिकेत असते.

         कधी कधी ही चलबिचल आईचाही लक्षात आपल्याही नकळत येऊन जाते  आणि आई बोलून जाते, प्रश्न नकोत पण प्रश्न येतात तिच्यासमोर आणि असे प्रश्न विचारले जातात.

       आपण प्रत्येक वेळी ऐकण्याच्या भूमिकेत का असायचे?  कारण आपल्या समोरच्या व्यक्तीवर आपल्यापेक्षाही जास्त प्रेम करीत असतो. आपले अस्तित्व..  आपले शब्द... आपले राहणे.... आपली विचारशैली,आपली भावशैली आणि आपली बोलशैली त्याची असते. 

     आपले अस्तित्व म्हणजे,"तो स्वतः ,असतो .म्हणूनच त्याच भूमिकेत दैनंदिन जीवन मार्ग समोर जावे लागते.

           खरंच असे असते का. माहित नाही? पण आई याच गोष्टीवर अधिक लक्ष केंद्रित करीत असते. जीवन इतके सोपे असते... आपले अस्तित्व त्याचे असते. आई सहज बोलून जाते, हो!! प्रेम आपल्याकडून सर्व काही करून घेते आणि त्यासाठी तो सुद्धा आपल्याकडून आपल्यालाही हवी तेसुद्धा सर्व करुन घेत असते. 

      माहित असते, आपली मर्यादा, आपल्या सर्व भावना ,भावविश्व आणि आपले अस्तित्व. फक्त आपल्या प्रेमामुळे. मग त्यात त्याचे प्रेम नसते का? उत्तर प्रत्येक वेळी नाही किंवा असू ही शकते. हे मग प्रेम कुठे असते माहित नाही?

        सर्वच गोष्टी अधांतरी.तसेच तर आपली भूमिका नेहमीच ऐकण्याची का असावी आणि ती का असू नये. हा प्रश्न या प्रश्नाचे उत्तर मात्र नखशिखांत प्रश्नचिन्ह समोरच असते. कारण आपण ऐकण्याच्या भूमिकेत असतो.

शब्द माझे आहे 
शब्द त्याचेही आहे 
जडत्व मात्र त्याच्या शब्दांना 
कोमलता मात्र ऐकणाऱ्याच्या भूमिकेला   
वाट कोणतीही असो 
सुखाची आनंदाची 
वा.. ...
दुःखाची यशस्वितेची...!!!


            आईचे हे शब्द नेहमी तिने तिच्या संस्कारांमध्ये माझ्यामध्ये घातले. आपण कितीही मोठे झालो तरी, ते संस्कार आपल्यातून उणे करू शकत नाही आणि परंपरा, संस्कृती कुठेतरी मागे पडतात. संस्कारांसमोर!

          कारण हेच संस्कार आपल्याला उडण्याची शक्ती देतात. आपल्या हातात विश्व समावून घेण्याची शक्ती देतात. आत्मविश्वास एकवटतात. पंखाना आकाशी उडण्यासाठी बळ देतात आणि जिंकण्याच्या मार्गावर एक एक पाऊल समोर जात जात, आपले स्वप्न आपल्या इच्छा आपल्यातील आपलेपणा जागृत ठेवून ते मिळवीत असतो.

       एक चांगले व्यक्तिमत्व घडत असते आणि  हीच आपली शक्ती असते... यशस्विता असते. 

पंखांना बळ मिळाले संस्कारांचे 
संस्कारांना बळ मिळाले स्वाभिमानाचे 
स्वाभिमानाला बळ मिळाले संघर्षाचे 
संघर्षला बळ मिळाले यशस्वीतेचे 
चांगल्या व्यक्तिमत्वाचे 
चांगल्या संस्काराचे 

        म्हणूनच चांगले संस्कार कधीही हरत नाही. आणि कधी जिंकत नाही. तर ते आपल्यासोबत असतात... यशस्वी व्यक्तिमत्व बनून..! (व्यक्तिपरत्वे यशस्वितेची व्याख्या वेगवेगळी असते ) म्हणून प्रत्येकाने स्वतः स्वतःची प्रॉमिस करा.

       मी एक चांगली व्यक्ती म्हणून या समाजात मानसन्मान मिळेल. यश-अपयश यामधील गणितात न राहता येणाऱ्या संघर्षाला समोर जात... स्वतः स्वतःचे एक विश्व तयार करील. पण चांगल्या संस्काराच्या साक्षीने आणि एक प्रेमळ मायाळू मनाने.!!!!

       संघर्ष कितीही असला तरी, यशस्विता कितीही असली तरी आणि पैसा कितीही असला तरी. "चांगले व्यक्तिमत्व, आपल्या आयुष्यातील शिदोरी आहे." ती कोणतीही घटना प्रसंगांमध्ये ती आपल्या सोबत असते आणि आपल्या त्या संस्कारांची पोचपावती असते आपले व्यक्तिमत्व. प्रॉमिस (promise)  करा स्वतः स्वतःसाठी....Happy promise Day...!!! 

        आपण कोणत्याही भूमिकेत असलो तरी. ती भूमिका ऐकण्याची असो... बोलण्याची असो.... ती कुणावर जीवापाड प्रेम करणाऱ्या भूमिकेत असो.... कारण चांगले व्यक्तिमत्व हे कधीही कोणत्याही भूमिकेत यशस्वी होत असतात. कारण आपण स्वतः स्वतःशी प्रॉमिस केलेले असते. आपल्या संस्कारांना!! 

जगण्याची आशा माझी तू 
स्वप्नाची माळ माझी तू 
आणि प्रेमळ नात्याची  सुरुवात 
माझ्या तुझ्या रेशीमगाठीत 
फक्त मी सोबत तुझ्या 
आणि तू सोबत माझ्या 

      मी ऐकण्याच्या भूमिकेत असले तरी निर्णायक भूमिकेत असते. तुझ्यासोबत; सदासर्वदा. माझ्या सोबत ..! माझ्या शब्दांच्या पलीकडे आणि अलीकडे तुझे अस्तित्व असले तरी माझ्या त्या भूमिकेला जोड मात्र नेहमी माझ्यावर झालेला माझ्या आईचे त्या शब्दांशी केलेले मी प्रॉमिस असते.

        एक चांगली व्यक्ती घडविण्यासाठी तिने केलेले सततचे प्रयत्न असते ते. मी तुझ्यासोबत कोणत्याही भूमिकेत असले... तरी एक स्त्री म्हणून स्वतःच स्वतःशी केलेले प्रॉमिस असते.  प्रत्येक व्यक्ती हा कोणत्या ना कोणत्या भूमकेत असतो.
म्हणून स्वतः स्वतःसाठी प्रॉमिस करा...

        मी कोणत्याही भूमिकेत असले तरी, मी माझे प्रदर्शन हे संस्कारित व्यक्तिमत्त्वाचे असेल. जेणेकरून कोणत्याही परिस्थितीत मी माझे व्यक्तिमत्व यशस्वीतेच्या त्या पायवाटेवर कायम कोरून ...पेरून ठेवेल.
 
हॅपी प्रॉमिस डे ऑल माय फ्रेंड्स..!!



©️®️✍️Savita Tukaramji Lote
शीर्षक :-     प्रॉमिस माझे 
                      ऐकण्याच्या भूमिकेत...

             आपल्या येण्याची जाणीव आपल्या प्रतिक्रिया  होय. आपली प्रतिक्रिया कमेंट बॉक्समध्ये जरूर नोंदवा आणि लाईक आणि शेअर करायला विसरू नका ....!!


माझ्या वेलीवर ( दलित साहित्य कविता)

*** माझ्या वेलीवर *** माझ्या वेलीवर वेदना होत्या  बाबासाहेब तुमच्या वैचारिक आलिंगनाने   अश्रूचे सोने झाले  देहाचे मंदिर झाले  सुकलेल्या शरीर...